चेतेश्वर पुजारा ने लिया क्रिकेट के तीनो प्रारूपों से संन्यास

 



नीचे चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) के संन्यास, करियर की उपलब्धियां क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में उनकी छाप के बारे में विस्तृत विवरण प्रस्तुत है:


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संन्यास (Retirement)

अगस्त 24, 2025 को पुजारा ने  क्रिकेट के तीनो प्रारूपों से संन्यास की घोषणा की, जिसे उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से साझा किया—"Wearing the Indian jersey... all good things must come to an end." यह घोषणा एक भावपूर्ण विदाई थी।

उन्होंने बताया कि इस निर्णय पर वे केवल लगभग एक सप्ताह पहले पहुंचे—स्वयं अपनी सोच थी कि अब आगे बढ़ने का सही समय है और युवा खिलाड़ियों को अवसर देना चाहिए।



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टेस्ट करियर की उपलब्धियां
103 टेस्ट मैचों में उन्होंने 7,195 रन बनाए, औसत 43.60, जिसमें 19 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं।

वे भारत के आठवें सर्वोच्च रन स्कोरर और No.3 स्लॉट पर दूसरे सर्वोच्च रन स्कोरर हैं (Rahul Dravid के पीछे)।

विशेष रूप से 2018–19 में ऑस्ट्रेलिया में की गई टेस्ट सीरीज जीत में उनका प्रदर्शन यादगार रहा—521 रन बनाए और “Player of the Series” रहे।



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तीनों प्रारूपों में उनकी कैसे रही छाप?

टेस्ट क्रिकेट

पुजारा स्वयं को काफी स्थिर, तकनीकी और धैर्यशील के रूप में स्थापित कर पाए। उनकी बल्लेबाजी का अंदाज़ बेहद शास्त्रीय था, जो “stone-waller” शैली के लिए मशहूर था।

उनके शांत और केंद्रित अंदाज़ ने उन्हें “modern-day Test match warrior” का दर्जा दिलवाया।


एकदिवसीय (ODI) और टी20

उन्होंने केवल 5 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ODIs) खेले, और फिर यह प्रारूप उनके लिए बंद हो गया।T20 या आईपीएल में भी उन्हें ज्यादा अवसर नहीं मिला।

उन्होंने स्वीकार किया कि अपनी टेस्ट पहचान बनाए रखने के लिए उन्होंने जानबूझकर flashy गेम नहीं खेला—even though उन्हें सभी प्रारूपों में खेलने की इच्छा थी।


घरेलू और काउंटी क्रिकेट

उल्लेखनीय रूप से उन्होंने घरेलू प्रथम श्रेणी में 21,301 से अधिक रन बनाए हैं, जिसमें 278 मैच शामिल हैं।

वे सौराष्ट्र के लिए सक्रिय रहे और इंग्लैंड के काउंटी क्लब ससेक्स के लिए भी खेलते रहे।



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साथी, प्रशंसक और दिग्गजों की प्रतिक्रियाएँ(Tributes)

Sachin Tendulkar ने कहा:
*“Pujara, it was always reassuring to see you walk out at No.3… the 2018 series win in Australia stands out, it wouldn’t have been possible without your incredible resilience.”*

Yuvraj Singh ने लिखा:
*“Someone who always put his mind, body and soul for the country! Many congratulations on an outstanding career Puji!”*

VVS Laxman ने 2001 की गाबा टेस्ट (जिसमें पुजारा ने body-blows झेले थे) को उनके दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया।

Anil Kumble, Sunil Gavaskar, Gautam Gambhir, R. Ashwin सहित कई अन्य दिग्गजों ने उनकी तारीफ़ की और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।

Jaydev Unadkat (सौराष्ट्र साथी) ने भावुक पोस्ट लिखा: “journey… nothing short of a fairy-tale” और साथ ही उन्हें मज़ाकिया और नटखट पक्ष का भी जिक्र किया।



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संपूर्ण सारांश 

चेतेश्वर पुजारा—राजकोट में एक छोटे से कस्बे में जन्मे, जिन्होंने अपने पिता के साथ नीम के पेड़ के नीचे रोज़ाना हजारों गेंदों पर अभ्यास करके अपनी धैर्यवान तकनीक निखारी। 2010 में ऑस्ट्रेलिया में अपने टेस्ट डेब्यू से लेकर 2025 में संन्यास तक, उन्होंने क्रिकेट को अपनी जिंदादिली, आत्म-समर्पण और शांत दृढ़ता से समर्पित किया।

उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में भारतीय मध्यक्रम को मजबूती से संभाले रखा—103 टेस्ट मैच, 7,195 रन, 19 शतक, औसत 43.60—संख्या खंभे हैं उनके अदम्य संघर्ष की। खासकर 2018–19 की ऑस्ट्रेलिया दौरे की जीत में, जहाँ उन्होंने सीरीज में 521 रन बनाकर “Player of the Series” का ख़िताब जीता; इस तरह से उन्होंने स्थिरता और मानसिक बल की मिसाल कायम की।

वह एकदिवसीय या टी20 में नहीं टिक सके, लेकिन घरेलू क्रिकेट—278 फर्स्ट-क्लास मैचों में 21,301 रन—और इंग्लिश काउंटी (ससेक्स) में खेलकर उन्होंने रैड-बॉल क्रिकेट में अपनी महारत साबित की।

उनका संन्यास अनूठा और भावनात्मक था। उन्होंने लगभग एक सप्ताह सोचा और फिर निर्णय लिया कि मैदान छोड़ने का समय आ गया—“representing India was a dream... now it's a proud moment.” यह संदेश उन युवाओं के लिए प्रेरणा बनेगा जो खुद को केवल चमक-धमक से तुलना करते हैं। इस फैसले ने न केवल उनके करियर का अंत दर्शाया, बल्कि यह याद दिलाया कि क्रिकेट की वास्तव में महानता धैर्य, लगन और स्थिरता में होती है।

दिग्गजों और साथियों ने भी उनकी प्रशंसा की—सचिन ने उनके Presence को भरोसेमंद बताया, लक्समण ने उन्हें दिलेरी का प्रतीक कहा, अनकैलबे ने ‘क्रिकेट के महान राजदूत’ कहा, और साथी जेदेव उनदकट ने उनकी मज़ाकिया, बढ़चढ़कर खेलने वाले पक्ष का भी उल्लेख किया—जिससे पता चलता है कि वह सिर्फ मैदान में नहीं, मैदान के बाहर भी बहुत खास थे।

उनका कैरियर बताता है कि क्रिकेट सिर्फ रन-रेट में नहीं, बल्कि आत्म-समर्पण, तकनीकी परिपक्वता, मानसिक धैर्य और देश के लिए निष्ठा में भी नापा जाता है। उनके मैदान-विदाई ने उस युग को समाप्त किया, जहां टेस्ट क्रिकेट का शुद्ध रूप और शांत लेकिन विजई अंदाज़ मायने रखते थे।

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