भारत की ओलंपिक पदक विजेता -शीतल देवी की प्रेरणादायक कहानी
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शीतल देवी का जन्म 10 जनवरी 2007 को जम्मू कश्मीर के किश्तबाड. जिले में हुआ था
भारत के पहाड़ी राज्य जम्मू और कश्मीर की ऊँची पहाड़ियों के बीच एक छोटे से गाँव में जन्मी सीतल देवी का बचपन साधारण था, लेकिन उनके सपने असाधारण। बचपन से ही उन्हें मेहनत और शारीरिक चुनौतियों का सामना करने की आदत थी—कभी लकड़ी ढोना, कभी खेतों में काम करना, कभी ढलानों पर पानी के मटके ले जाना
गाँव के लोग उन्हें कहते थे,
> "सीतल, ये सब तो तुम ऐसे करती हो जैसे कोई खेल हो।"
धीरे-धीरे उन्होंने महसूस किया कि उनकी ताकत सिर्फ खेत–खलिहानों तक सीमित नहीं है। एक दिन गाँव में खेल प्रतियोगिता हुई, जिसमें पत्थर उठाने और भार खींचने का मुकाबला था। सीतल ने सबको पीछे छोड़ दिया। तभी उनके अंदर "मैं और भी कर सकती हूँ" वाली चिंगारी भड़क उठी ।
उन्होंने पेशेवर स्ट्रॉन्गवुमन बनने की ठानी। हालात आसान नहीं थे—न ट्रेनिंग की सुविधा, न पैसे, और न ही समाज का समर्थन। लोग ताना मारते,
> "लड़कियों को ये सब शोभा नहीं देता।"
लेकिन सीतल ने हार नहीं मानी। बांस और पत्थरों से अपने घर के आँगन में ही ट्रेनिंग उपकरण बना लिए। सुबह सूरज उगने से पहले और रात तारों के नीचे—बस अभ्यास, पसीना और विश्वास।
कुछ साल बाद, उन्होंने स्ट्रॉन्गवुमन चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और पहला स्थान हासिल किया। आज वे कई महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, खासकर उन पहाड़ी बेटियों के लिए जो सोचती हैं कि बड़े सपनों के लिए बड़े शहर चाहिए।
सीतल देवी साबित करती हैं कि
> "ताकत सिर्फ शरीर में नहीं, हौसलों में होती है।"
बसे युवा पैरालिम्पियाई पदक विजेता बनीं ।
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